मजहब को यह मौका न मिलना चाहिए कि वह हमारे साहित्यिक, सामाजिक, सभी क्षेत्रों में टाँग अड़ाए। - राहुल सांकृत्यायन।
 
 
 
 
Posted By SUKH VIR SINGH BOUDH   on  Thursday, 02-04-2020
what is the beck history Dr BR Ambrdkar second step mother JIJA BAI
Posted By KARTIK A. SHAH   on  Tuesday, 08-04-2014
बहोत ही शुक्रिया . एक कम और करिए , मुझे एक कविता बता दीजिये . " यूँ निकल कर बदलो कि गोद से, थी अभी एक बूंद कुत्छ आगे बढ़ी.........".
Posted By VISHVAJEET BHARAT   on  Sunday, 30-03-2014
नो content
Posted By NAVEEN DESHWAL   on  Sunday, 23-03-2014
जय हिन्द भारत माता की जय देश के लिए बड़ी क़ुरबानी देने वालो को नवीन देशवाल का सलाम
Posted By nandkishor suryawanshi   on  Thursday, 13-02-2014
ye sach hai ki hamare navjawan bhaiyo ko ye pata nahi hai ki ve velentinsday ka virodh kyu kar rahe hai aur agar virodh karna hai to kuch aisa virodh karo bhaiyo ki log aap se dare nahi balki aapki izzat kare
Posted By gautam singh   on  Tuesday, 11-02-2014
DR.AMBEDKAR
Posted By Pradeep Gautam   on  Sunday, 09-02-2014
बाबा साहेब जैसा न कभी पैदा हुआ ना ही होगा जय भीम
Posted By रोहित   on  Sunday, 29-09-2013
टेस्ट आईटी
Posted By रोहित    on  Sunday, 29-09-2013
तेसत
Posted By Bajrangn lal arya   on  Monday, 08-07-2013
भाग्योदय और पदोन्नति कब होगी
Posted By Rahul   on  Tuesday, 11-06-2013
Good site
Posted By vijaya    on  Monday, 04-03-2013
एक अद्भुत अनूठा सराहनीय प्रयास - कवि की हस्तलिपि का साक्षात्कार !
Posted By sapana singh (सोनश्री)   on  Sunday, 03-03-2013
आज भी खड़ी वो , तोडती पत्थर, दिखी थी आपको, क्या पता था, टूटेगा, और क्या क्या ? कविवर, क्या कहूँ , वो दिखी थी, रास्ते में आपको, आज, जो पढता हैं, चला जता हैं बस, उसी रस्ते में | उस दिन, वो कसक तो, आज भी, करती हैं विवश | अफ़सोस, पर आज भी, तोडती हैं पत्थर, वो खड़ी, उसी रास्ते में | पसीने में, लथपथ रूप उसका, आज दया कम, लोभ पैदा करता हैं | वो तब भी, मजबूर थी, आज भी, कम बेबस नहीं, फरक बस इतना हैं, वो कल, दिखी थी आपको, आज, दिख जाती है, हर इंसान को |
Posted By sapana singh (सोनश्री)   on  Sunday, 03-03-2013
छवि नहीं बनती निराला जी, निराले, थे आप | इसलिए तो, सबको, भाये थे आप | आपके, शब्दों में, जादू था ऐसा , कि, आज भी, गूंजते हैं वहीं, जेहन में, बार बार, कई बार | अभाव में, भाव, आये थे कैसे ? आज तो, भाव में भाव, आता नहीं | लगता हैं, कहाँ से, उमड़ेगी कविता, जिसमे, झलकेगी, छवि आपकी | क्या कहूँ, शब्द, नहीं बनते, भाग, जाते हैं, आपके, नाम से, आपके, शब्दों के, कमाल से | निराला जी, निराले थे आप, इसलिए तो, सबको, भाये थे आप |
Posted By sapana singh (सोनश्री)   on  Sunday, 03-03-2013
छवि नहीं बनती निराला जी, निराले, थे आप | इसलिए तो, सबको, भाये थे आप | आपके, शब्दों में, जादू था ऐसा , कि, आज भी, गूंजते हैं वहीं, जेहन में, बार बार, कई बार | अभाव में, भाव, आये थे कैसे ? आज तो, भाव में भाव, आता नहीं | लगता हैं, कहाँ से, उमड़ेगी कविता, जिसमे, झलकेगी, छवि आपकी | क्या कहूँ, शब्द, नहीं बनते, भाग, जाते हैं, आपके, नाम से, आपके, शब्दों के, कमाल से | निराला जी, निराले थे आप, इसलिए तो, सबको, भाये थे आप |
Posted By sapana singh (सोनश्री)    on  Sunday, 03-03-2013
छवि नहीं बनती निराला जी, निराले, थे आप | इसलिए तो, सबको, भाये थे आप | आपके, शब्दों में, जादू था ऐसा , कि, आज भी, गूंजते हैं वहीं, जेहन में, बार बार, कई बार | अभाव में, भाव, आये थे कैसे ? आज तो, भाव में भाव, आता नहीं | लगता हैं, कहाँ से, उमड़ेगी कविता, जिसमे, झलकेगी, छवि आपकी | क्या कहूँ, शब्द, नहीं बनते, भाग, जाते हैं, आपके, नाम से, आपके, शब्दों के, कमाल से | निराला जी, निराले थे आप, इसलिए तो, सबको, भाये थे आप |
Posted By सोनश्री   on  Sunday, 03-03-2013
छवि नहीं बनती निराला जी, निराले, थे आप | इसलिए तो, सबको, भाये थे आप | आपके, शब्दों में, जादू था ऐसा , कि, आज भी, गूंजते हैं वहीं, जेहन में, बार बार, कई बार | अभाव में, भाव, आये थे कैसे ? आज तो, भाव में भाव, आता नहीं | लगता हैं, कहाँ से, उमड़ेगी कविता, जिसमे, झलकेगी, छवि आपकी | क्या कहूँ, शब्द, नहीं बनते, भाग, जाते हैं, आपके, नाम से, आपके, शब्दों के, कमाल से | निराला जी, निराले थे आप, इसलिए तो, सबको, भाये थे आप |

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