30 जनवरी को एक बार फिर देश राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को याद करेगा।
प्रार्थना के लिए जाते समय रास्ते में अचानक एक व्यक्ति उनके सामने आ खड़ा हुआ। उसके और गांधीजी के बीच मात्र तीन कदम का फासला था। उसने नीचे झुककर प्रणाम की मुद्रा में सहजता से हाथ झुकाया और कहा "नमस्ते गांधीजी" मनु बेन ने उसे रास्ते से हट जाने के लिए कहा कि तुरंत ही उसने बलपूर्वक मनुबेन को एक ओर धकेल दिया। फिर उसने दोनों हाथों के बीच रखी पिस्तौल गांधीजी की ओर कर एक के बाद एक तीन गोलिया दाग दी। महात्मा गांधी के श्वेत वस्त्र को लहुलुहान हो गए थे।
वंदन की मुद्रा में झुका बापू का शरीर धीरे-धीरे आभा बेन की तरफ ढहता गया। गोडसे की तीन गोलियों का तीन अक्षर का उनका प्रतिभाव था "हे राम!" उस समय उनकी कमर पर लटकी घड़ी में शाम के 5 बजकर 17 मिनट हो रहे थे।
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बापू
संसार पूजता जिन्हें तिलक, रोली, फूलों के हारों से, मैं उन्हें पूजता आया हूँ बापू ! अब तक अंगारों से।
अंगार, विभूषण यह उनका विद्युत पीकर जो आते हैं, ऊँघती शिखाओं की लौ में चेतना नयी भर जाते हैं।
उनका किरीट, जो कुहा-भंग करके प्रचण्ड हुंकारों से, रोशनी छिटकती है जग में जिनके शोणित की धारों से।
झेलते वह्नि के वारों को जो तेजस्वी बन वह्नि प्रखर, सहते ही नहीं, दिया करते विष का प्रचण्ड विष से उत्तर।
अंगार हार उनका, जिनकी सुन हाँक समय रुक जाता है, आदेश जिधर का देते हैं, इतिहास उधर झुक जाता है।
-रामधारीसिंह दिनकर
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बापू महान, बापू महान!
बापू महान, बापू महान! ओ परम तपस्वी परम वीर ओ सुकृति शिरोमणि, ओ सुधीर कुर्बान हुए तुम, सुलभ हुआ सारी दुनिया को ज्ञान बापू महान, बापू महान!!
बापू महान, बापू महान हे सत्य-अहिंसा के प्रतीक हे प्रश्नों के उत्तर सटीक हे युगनिर्माता, युगाधार आतंकित तुमसे पाप-पुंज आलोकित तुमसे जग जहान! बापू महान, बापू महान!!
दो चरणोंवाले कोटि चरण दो हाथोंवाले कोटि हाथ तुम युग-निर्माता, युगाधार रच गए कई युग एक साथ ।
तुम ग्रामात्मा, तुम ग्राम प्राण तुम ग्राम हृदय, तुम ग्राम दृष्टि तुम कठिन साधना के प्रतीक तुमसे दीपित है सकल सृष्टि ।
- नागार्जुन [नागार्जुन रचनावली] 21.09.1969
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तीनों बंदर बापू के
बापू के भी ताऊ निकले तीनों बंदर बापू के सरल सूत्र उलझाऊ निकले तीनों बंदर बापू के सचमुच जीवनदानी निकले तीनों बंदर बापू के ज्ञानी निकले, ध्यानी निकले तीनों बंदर बापू के जल-थल-गगन-बिहारी निकले तीनों बंदर बापू के लीला के गिरधारी निकले तीनों बंदर बापू के!
सर्वोदय के नटवर लाल फैला दुनिया भर में जाल अभी जिएंगे ये सौ साल ढाई घर घोड़े की चाल मत पूछो तुम इनका हाल सर्वोदय के नटवर लाल!
लंबी उमर मिली है, खुश हैं तीनों बंदर बापू के दिल की कली खिली है, खुश हैं तीनों बंदर बापू के बूढ़े हैं, फिर भी जवान हैं तीनों बंदर बापू के परम चतुर हैं, अति सुजान हैं तीनों बंदर बापू के सौवीं बरसी मना रहे हैं तीनों बंदर बापू के बापू को ही बना रहे हैं तीनों बंदर बापू के!
खूब होंगे मालामाल खूब गलेगी उनकी दाल औरों की टपकेगी राल इनकी मगर तनेगी पाल मत पूछो तुम इनका हाल सर्वोदय के नटवर लाल!
सेठों क हित साध रहे हैं तीनों बंदर बापू के युग पर प्रवचन लाद रहे हैं तीनों बंदर बापू के सत्य-अहिंसा फाँक रहे हैं तीनों बंदर बापू के पूँछों से छवि आँक रहे हैं तीनों बंदर बापू के दल से ऊपर, दल के नीचे तीनों बंदर बापू के मुस्काते हैं आंखें मीचे तीनों बंदर बापू के!
छील रहे गीता की खाल उपनिषदें हैं इनकी ढाल उधर सजे मोती के थाल इधर जमे सतजुगी दलाल मत पूछो तुम इनका हाल सर्वोदय के नटवर लाल!
मड़ रहे दुनिया-जहान को तीनों बंदर बापू के चिढ़ा रहे हैं आसमान को तीनों बंदर बापू के करें रात-दिन टूर हवाई तीनों बंदर बापू के बदल-बदल कर चखें मलाई तीनों बंदर बापू के गांधी-छाप झूल डाले हैं तीनों बंदर बापू के असली हैं, सर्कस वाले हैं तीनों बंदर बापू के!
दिल चटकीला, उजले बाल नाप चुके हैं गगन विशाल फूल गए हैं कैसे गाल मत पूछो तुम इनका हाल सर्वोदय के नटवर लाल!
हमें अँगूठा दिखा रहे हैं तीनों बंदर बापू के कैसी हिकमत सिखा रहे हैं तीनों बंदर बापू के प्रेम-पगे हैं, शहद-सने हैं तीनों बंदर बापू के गुरुओं के भी गुरू बने हैं तीनों बंदर बापू के सौवीं बरसी मना रहे हैं तीनों बंदर बापू के बापू को ही बना रहे हैं तीनों बंदर बापू के।
-बाबा नागार्जुन साभार - नागार्जुन रचनावली |