हमारी हिंदी भाषा का साहित्य किसी भी दूसरी भारतीय भाषा से किसी अंश से कम नहीं है। - (रायबहादुर) रामरणविजय सिंह।
दशहरा कविता
 
 

आज दशहरे की घड़ी आई
झूठ पर सच की जीत है भाई

रामचन्द्र ने रावण मारा
तोड़ दिया अभिमान भी सारा

एक बुराई रोज हटाओ
और दशहरा रोज मनाओ

हार के भी वो जीता रावण
मुक्ति पाई राम के चरणन्

- गुलशन मदान
   साभार-ये प्यारे त्योहार हमारे

 

 
 
 
 
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