शिक्षा के प्रसार के लिए नागरी लिपि का सर्वत्र प्रचार आवश्यक है। - शिवप्रसाद सितारेहिंद।
सुख और शांति | दैनिक-कथा - भारत-दर्शन संकलन  
   Author:  भारत-दर्शन संकलन

एक बार बुद्ध किसी गांव में ठहरे थे। जब वे गांव में भ्रमण कर रहे थे तो एक आदमी ने उनके पास आया पूछा - "भंते, आप इतने वर्षों से लोगों को शांति, सत्य और मोक्ष का प्रवचन दे रहे हैं लेकिन कितने लोग हैं जिन्हें मोक्ष प्राप्त हो गया?"

बुद्ध उसकी बात सुनकर बोले -"तुम आकर मिलना, तब तुम्हारी बात का उत्तर दूंगा, लेकिन एक काम करना।"

"क्या?" उस आदमी ने पूछा|

बुद्ध ने कहा - "सारे गांव में घुमकर सबसे मिलकर यह लिखवा लाना कि कौन-कौन शांति चाहते हैं, कौन सत्य और कौन-कौन मोक्ष?"

"आपने यह अच्छा कहा, भन्ते!" वह आदमी चकित होकर बोला - "कौन ऐसा अभागा होगा जो इन चीजों को नहीं चाहेगा?"

बुद्ध ने कहा - "तुम एक बार पता लगाओ कि कौन आदमी किस चीज की कामना करता है!"

वह आदमी घंटों गांव में घूम-घूमकर यही प्रश्न लोगों से पूछता रहा लेकिन एक भी आदमी ऐसा न मिला जो शांति, सत्य और मोक्ष चाहता हो। किसी ने कहा - 'मुझे रोगों से छुटकारा चाहिए।' किसी ने संतान की चाह की, तो किसी ने कहा - 'मुझे नौकरी चाहिए।' और किसी ने लंबी उम्र की अभिलाषा की।

वह व्यक्ति हतप्रभ रह गया।

फिर बुद्ध के पास आकर बोला - "यह तो बड़ा अजीव बात है कि कोई कुछ चाहता है, कोई कुछ! किंतु शांति, सत्य और मोक्ष की आकांक्षा रखने वाला एक भी आदमी नहीं!"

बुद्ध ने कहा - "इसमें आश्चर्य क्या है? हममें से अधिकतर सुख चाहते हैं- शांति नहीं! ..और सुख पाने के लिए वे शांति के विपरीत मार्ग पर चल देते हैं। सुख का मार्ग शांति का मार्ग नहीं है!"

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[ भारत-दर्शन संकलन ]

 
 

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