श्री आलोक मेहता उन दिनों 'आउटलुक' सप्ताहिक के संपादक थे। उनका मेरा परिचय 'वायस ऑव अमेरिका' हिंदी के माध्यम से था। आउटलुक साप्ताहिक ने जनवरी 2007 को हिमालय पर केंद्रित 'विशेषांक' निकालने की योजना बनायी थी। मुझे श्री मेहता का फोन आया कि क्या मैं आउटलुक के लिए सर एडमंड हिलेरी का साक्षात्कार कर सकता हूँ?
शेरपा तेनज़िंग नोर्गे के साथ 1953 में एवरेस्ट पर विजय प्राप्त करने वाले न्यूज़ीलैंड निवासी एडमंड हिलेरी का कदम 8850 मीटर ऊँचे एवरेस्ट पर किसी मानव का पहला कदम माना जाता है।
सर हिलेरी उन दिनों अस्वस्थ थे। मैंने उन्हें फोन किया तो उनकी पत्नी 'लेडी जून' ने कहा कि वे स्वस्थ नहीं हैं और उन्हें बोलने में थोड़ी कठिनाई होती है।
मेरे यह बताने पर कि यह अंक हिमालय पर केंद्रित है और सर हिलेरी की उसमें उपस्थिति अत्यावश्यक है। उन्होंने मुझे कहा - कुमार, मैं वायदा तो नहीं करती पर मैं आपका संदेश तुरंत उनको पहुंचा देती हूँ और आपको फोन करती हूँ।"
सामान्यतया सर हिलेरी कई समारोहों में उपस्थित रहते थे लेकिन इन दिनों वे कम ही दिखाई देते थे, इसलिए मुझे उनकी 'हामी' की आशा कम ही थी।
अभी मैं सोच ही रहा था कि फोन की घंटी बजी। फोन उठाया तो लेडी हिलेरी ने सूचना दी कि उन्होंने साक्षात्कार के लिए 'हाँ' कह दी है।
ऐसा था हिलेरी का हिमालय प्रेम कि अस्वस्थ होते हुए भी वे हिमालय पर बातचीत के लिए राजी हो गए।
हिमालय जैसे ऊँचे हिलेरी यद्यपि उम्र के इस पड़ाव पर शिथिल हो गए थे तथापि उनके चेहरे का तेज, उनकी विनम्रता और उनकी सादगी आज भी उन्हें 'माउंट एवरेस्ट' की ऊँचाई पर रखे हुए थी।
सफेद पैंट, हल्की नीली कमीज पहने हुए सर हिलेरी अपनी बैठक जहाँ हिमालय के अनेक चित्रों के अतिरिक्त बहुत से नेपाली शेरपाओं के छायाचित्र भी थे में बैठे हुए थे। हिलेरी और उनकी बगल में टंगे हिमालय के चित्र में कुछ समानता तो थी। मैं दोनों को ध्यान से देखता हूँ तो उनकी सफेद पैंट धरातल, हल्की नीली कमीज मानो नीले पहाड़ और उनका सादगी भरा, गर्विला गौरवर्ण चेहरा मानों हिमालय की हिमशिखा 'एवरेस्ट' दिखाई पड़ते थे। उनके स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए मैंने उन्हें बीच में बातचीत को विराम देकर, विश्राम करने के लिए पूछा तो उन्होंने मुसकुराकर बातचीत करते रहने को कहा।
फिर हम बहुत देर तक बातचीत करते रहे।
[भारत-दर्शन संकलन] |