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हिंदी-प्रेम | काका हाथरसी की हिंदी पर कुण्डली
किसी साहित्य की नकल पर कोई साहित्य तैयार नहीं होता। - सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'।
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हिंदी-हिंदू-हिंद का, जिनकी रग में रक्त सत्ता पाकर हो गए, अँगरेज़ी के भक्त अँगरेज़ी के भक्त, कहाँ तक करें बड़ाई मुँह पर हिंदी-प्रेम, ह्रदय में अँगरेज़ी छाई शुभ चिंतक श्रीमान, राष्ट्रभाषा के सच्चे ‘कानवेण्ट' में दाख़िल करा दिए हैं बच्चे