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दरद न जाण्यां कोयहेरी म्हां दरदे दिवाणी म्हारां दरद न जाण्यां कोय।घायल री गत घाइल जाण्यां, हिवडो अगण संजोय।जौहर की गत जौहरी जाणै, क्या जाण्यां जिण खोय।दरद की मार्यां दर दर डोल्यां बैद मिल्या नहिं कोय।मीरा री प्रभु पीर मिटांगां जब बैद सांवरो होय॥- मीरा#
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