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 नया साल मुबारक | Ghazal by Shiv Mohan Sing
किसी साहित्य की नकल पर कोई साहित्य तैयार नहीं होता। - सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'।

नया साल मुबारक | ग़ज़ल (काव्य)

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Author: शिव मोहन सिंह 'शुभ्र'

हर दिन हो त्योहार नया साल मुबारक
हो यार का दीदार नया साल मुबारक

मेहनत ओ मशक्कत से आई ये घड़ी है
रौनक भरे बाजार नया साल मुबारक

है पास मुहब्बत की बेनाम अमीरी
आदाब है सरकार नया साल मुबारक

आराम नहीं लेंगे बस काम करेंगे
स्वप्न हों साकार नया साल मुबारक

उम्मीद अगर है तो साकार करो भी!
लो थाम लो पतवार नया साल मुबारक

इन्सान की नफरत में इन्सान मिटा है
ऐ मुल्क! खबरदार नया साल मुबारक


-शिव मोहन सिंह 'शुभ्र'
 द हेग, नीदरलैंड्स

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