हरिवंश राय बच्चन की प्रारंभिक कविताओं का संग्रह 'तेरा हार' 1932 में 'राम नारायण लाल, पब्लिशर और बुकसेलर, इलाहाबाद' द्वारा प्रकाशित हुआ था। इससे पहले बच्चन अधिक प्रकाशित नहीं हुए थे, उनकी गिनी-चुनी रचनाएं ही कुछ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुईं थीं।
'तेरा हार' की सराहना उस समय की कई पत्र-पत्रिकाओं ने की थी लेकिन फिर भी इस पुस्तक की ख़ास बिक्री नहीं हुई थी। बच्चन की दूसरी कृति 'मधुशाला' के प्रकाशन (1935) के बाद बच्चन लोकप्रिय हो गए और फिर लोग उनकी पहली कृति, 'तेरा हार' की भी पुन: माँग करने लगे। अतएव 'तेरा हार' का दूसरा संस्करण 1939 में 'सुषमा निकुंज', इलाहाबाद द्वारा प्रकाशित किया गया।
क्या आप जानते हैं कि बच्चन ने साहित्य में कवि नहीं बल्कि कहानीकार के रूप में प्रवेश किया था। यह बात बड़ी दिलचस्प है कि कैसे एक साहित्यकार का कहानीकार मौन हो गया और मुखरित हुआ उसका कवि रूप!
भारत-दर्शन में बच्चन की एक बाल कहानी 'चुन्नी-मुन्नी' बहुत पहले प्रकाशित की थी जिसका लिंक यहाँ दे रहे हैं।
- रोहित कुमार 'हैप्पी' |