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 भारतीय | फीज़ी पर जोगिन्द्र सिंह कंवल की कविता | Poem by Joginder Singh Kanwal on Fij
हिंदी जाननेवाला व्यक्ति देश के किसी कोने में जाकर अपना काम चला लेता है। - देवव्रत शास्त्री।

भारतीय | फीज़ी पर कविता

 (काव्य) 
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रचनाकार:

 जोगिन्द्र सिंह कंवल | फीजी

लम्बे सफर में हम भारतीयों को
कभी पत्थर कभी मिले बबूल

कभी मिट जाती कभी जम जाती
इतिहास के दर्पण पर धूल

जिस देश को अपनाया हमने
वह टूट रहा फिर एक बार

चमन यह बिगड़ा इस तरह
काँटे बन रहे सारे फूल

- जोगिन्द्र सिंह कंवल, फीजी

 

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