Warning: session_start(): open(/tmp/sess_07b7829e48fb84fc1e3da81dae508f5e, O_RDWR) failed: No such file or directory (2) in /home/bharatdarshanco/public_html/lit_details.php on line 3

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /tmp) in /home/bharatdarshanco/public_html/lit_details.php on line 3
 हम भारतीयों का सदा है, प्राण वन्देमातरम् | Vande Matram
हिंदी जाननेवाला व्यक्ति देश के किसी कोने में जाकर अपना काम चला लेता है। - देवव्रत शास्त्री।

प्राण वन्देमातरम्

 (काव्य) 
Print this  
रचनाकार:

 भारत-दर्शन संकलन | Collections

हम भारतीयों का सदा है, प्राण वन्देमातरम्।
हम भूल सकते है नही शुभ तान वन्देमातरम्॥

देश के ही अन्नजल से बन सका यह खून है।
नाड़ियों में हो रहा संचार वन्देमातरम्॥

स्वाधीनता के मंत्र का है सार वन्देमातरम्।
हर रोम से हर बार हो उबार वन्देमातरम्॥

घूमती तलवार हो सरपर मेरे परवा नही।
दुश्मनो देखो मेरी ललकार वन्देमातरम्॥

धार खूनी खच्चरों की बोथरी हो जायगी।
जब करोड़ों की पड़े झंकार वन्देमातरम्॥

टांग दो सूली पै मुझको खाल मेरी खींच लो।
दम निकलते तक सुनो हुंकार वन्देमातरम्॥

देश से हम को निकालो भेज दो यमलोक को।
जीत ले संसार को गुंजार वन्देमातरम्॥

चौंकते हो क्यों भला तुम मंत्र वन्देमातरम्।
चीर कर देखो कलेजा तंत्र वन्देमातरम्॥

मृत्युशथ्या पर मुझे उल्लास होगा बस तभी।
प्राण यदि छूटे हिलाते तार वन्देमातरम्॥

                                 - अज्ञात

[भारत-दर्शन]

 

Back
 
Post Comment
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश