मिस्टर चूं-चूं चूहेराम, करते कभी न कोई काम। बिल के पास बिछाकर घास, दिन भर रोज खेलते तास।
खाते हरदम दोनों हाथ, सोते जी भर पूरी रात। मोटा थुलथुल हुआ शरीर, मिस्टर चूहे हुए अधीर।
बोले, काम करो सब खूब, सीखो सहना सर्दी-धूप। कभी न आलस का लो नाम, करो दूर से इसे प्रणाम।
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