साहित्य का स्रोत जनता का जीवन है। - गणेशशंकर विद्यार्थी।

गूंजी हिन्दी

 (काव्य) 
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रचनाकार:

 अटल बिहारी वाजपेयी | Atal Bihari Vajpayee

गूंजी हिन्दी विश्व में, स्वप्न हुआ साकार;
राष्ट्र संघ के मंच से, हिन्दी का जयकार;
हिन्दी का जयकार, हिन्द हिन्दी में बोला;
देख स्वभाषा-प्रेम, विश्व अचरज से डोला;
कह कैदी कविराय, मेम की माया टूटी;
भारत माता धन्य, स्नेह की सरिता फूटी!

- अटल बिहारी वाजपेयी 
[कैदी कविराय की कुंडलियाँ]
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