अहिंदी भाषा-भाषी प्रांतों के लोग भी सरलता से टूटी-फूटी हिंदी बोलकर अपना काम चला लेते हैं। - अनंतशयनम् आयंगार।

आ: धरती कितना देती है

 (काव्य) 
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रचनाकार:

 सुमित्रानंदन पंत | Sumitranandan Pant

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