Warning: session_start(): open(/tmp/sess_3d9051511c513fe569140a43ab64da45, O_RDWR) failed: No such file or directory (2) in /home/bharatdarshanco/public_html/lit_details.php on line 3

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /tmp) in /home/bharatdarshanco/public_html/lit_details.php on line 3
 नन्ही सचाई | Hindi poem by Ashok Chakradhar
भारत की सारी प्रांतीय भाषाओं का दर्जा समान है। - रविशंकर शुक्ल।

नन्ही सचाई

 (काव्य) 
Print this  
रचनाकार:

 अशोक चक्रधर | Ashok Chakradhar

एक डॉक्टर मित्र हमारे
स्वर्ग सिधार।
कोरोना से मर गए,
सांत्वना देने
हम उनके घर गए।

उनकी नन्ही-सी बिटिया
भोली-नादान थी
जीवन-मृत्यु से अनजान थी।

हमेशा की तरह
द्वार पर आई,
देखकर मुस्कुराई।
उसकी नन्ही सच्चाई
दिल को लगी बेधने,
बोली-- अंकल!
भगवान जी बीमार हैं न
पापा गए हैं देखने।

- अशोक चक्रधर

 

Back
 
Post Comment
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश