हिंदी चिरकाल से ऐसी भाषा रही है जिसने मात्र विदेशी होने के कारण किसी शब्द का बहिष्कार नहीं किया। - राजेंद्रप्रसाद।

यह चिंता है | ग़ज़ल

 (काव्य) 
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रचनाकार:

 त्रिलोचन

यह चिंता है वह चिंता है
जी को चैन कहाँ मिलता है

फूल आनंद का बहुत खोजा,
कब आता है, कब खिलता है

कहा किसी ने नहीं, "सुखी हूँ"
देखा सबको व्याकुलता है

जीवन पथ पर जिन को देखा
उन सब से मन की ममता है

कैसे कहा था तूने त्रिलोचन
इष्ट आप ही आ मिलता है

-त्रिलोचन

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