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 हैरान परेशान, ये हिन्दोस्तान है | Hindi poem by Anil Joshi
हिंदी जाननेवाला व्यक्ति देश के किसी कोने में जाकर अपना काम चला लेता है। - देवव्रत शास्त्री।

हैरान परेशान, ये हिन्दोस्तान है

 (काव्य) 
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रचनाकार:

 अनिल जोशी | Anil Joshi

हैरान परेशान, ये हिन्दोस्तान है
ये होंठ तो अपने हैं, पर किसकी जुबान है

जुगनू मना रहे हैं जश्न, आप देखिए
पर सोचिए सूरज यहां क्यों बेजुबान है

तुलसी, कबीर, मीरा भी, जब से हुए हैं 'कौन'
पूछा किए कि क्या यही हिन्दोस्तान है

बौने से शख्स ने कहा यूं आसमान से
आती है अंग्रेजी उसे, वो आसमान है

रिश्तों की नजाकत यहां पर खत्म हो गई
हर शख्स इस बाजार में बस इक सामान है

हंस कर कहा मैकाले ने, कल हमसे जब मिला
तलवार तुम्हारी है, पर किसकी म्यान है

- अनिल जोशी
  उपाध्यक्ष, केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल
  शिक्षा मंत्रालय, भारत

 

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