जब हम अपना जीवन, जननी हिंदी, मातृभाषा हिंदी के लिये समर्पण कर दे तब हम किसी के प्रेमी कहे जा सकते हैं। - सेठ गोविंददास।

कहावत

 (कथा-कहानी) 
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रचनाकार:

 रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड

-    कैंची मत बजाओ।

-    क्यों?

-    कहते हैं लड़ाई हो जाती है।

-    पर...

-    कहा न मत बजाओ।

-    यहां और है ही कौन? लड़ाई किससे होगी?

......तड़ाक....त...ड़ा...क...

-    जवाबतलबी करते हो!


- रोहित कुमार 'हैप्पी'
  संपादक, भारत-दर्शन
  न्यूज़ीलैंड

 

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