Warning: session_start(): open(/tmp/sess_ee8315ca3fc4dce2cce969df7b38115b, O_RDWR) failed: No such file or directory (2) in /home/bharatdarshanco/public_html/lit_details.php on line 3

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /tmp) in /home/bharatdarshanco/public_html/lit_details.php on line 3
 प्रेम देश का... | Ghazal by Dr Rana Pratap Singh Rana Ganauri
हिंदी जाननेवाला व्यक्ति देश के किसी कोने में जाकर अपना काम चला लेता है। - देवव्रत शास्त्री।

प्रेम देश का... | ग़ज़ल 

 (काव्य) 
Print this  
रचनाकार:

 डा. राणा प्रताप सिंह गन्नौरी 'राणा'

प्रेम देश का ढूंढ रहे हो गद्दारों के बीच
फूल खिलाना चाह रहे हो अंगारों के बीच

खतरनाक है इनके साए में चलना भी दोस्त
भरा हुआ बारूद ना होवे दीवारों के बीच

मनोयोग से ध्यान लगाए जरा बैठ कर देख
शायद सिसकी सच की सुन ले तू नारों के बीच

ईश्वर तेरी करुणा ही अब इसकी खैर करे
एक मसीहा घिरा हुआ है हत्यारों के बीच

दिल की बात जुबां पर आ कर रुक जाती है क्यों
शायद गैर कोई बैठा है हम यारों के बीच

मद्धम लौ वाले तारों से हुआ नहीं आलोक
कोई चांद सजाना होगा इन तारों के बीच

दुःखों में भी घिरकर 'राणा' हँसते रहना सीख
देख कि गुल हँसता रहता है नित खारो के बीच

-डॉ राणा प्रताप सिंह 'राणा' गन्नौरी

 

Back
 
Post Comment
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश