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 मेंहदी से तस्वीर खींच ली | Hindi Geet by Makhanlal Chaturvedi
हिंदी जाननेवाला व्यक्ति देश के किसी कोने में जाकर अपना काम चला लेता है। - देवव्रत शास्त्री।
मेंहदी से तस्वीर खींच ली  (काव्य)    Print this  
Author:माखनलाल चतुर्वेदी

मेंहदी से तस्वीर खींच ली किसकी मधुर! हथेली पर ।

प्राणों की लाली-सी है यह, मिट मत जाय
हाथों में रसदान किये यह, छुट मत जाय
यह बिगड़ी पहचान कहीं कुछ बन मत जाय
रूठन फिसलन से मन चाही मन मत जाय!

बेच न दो विश्वास-साँस को, उस मुस्कान अधेली पर!
मेंहदी से तस्वीर खींच ली किसकी मधुर! हथेली पर ।

हाथों पर लिख रक्खा है क्या सौदा आँख-मिचौनी का?
आँखों में भर लायी हो क्या रस? आहत अनहोनी का?
क्या बाजी पर चढ़ा दिये ये विमल गोद के धन आली?
क्या कहलाने लगा जगत में हर माली ही वनमाली?

तुम्हें याद कर रहा प्राणधन उस झिड़कन अलबेली पर ।
मेंहदी से तस्वीर खींच ली किसकी मधुर! हथेली पर ।

-माखनलाल चतुर्वेदी

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