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 कुछ झूठ बोलना सीखो कविता | Hindi poem by Jaiprakash Manav
हिंदी जाननेवाला व्यक्ति देश के किसी कोने में जाकर अपना काम चला लेता है। - देवव्रत शास्त्री।
कुछ झूठ बोलना सीखो कविता! (काव्य)    Print this  
Author:जयप्रकाश मानस | Jaiprakash Manas

कविते!
कुछ फरेब करना सिखाओ कुछ चुप रहना
वरना तुम्हारे कदमों पर चलनेवाला कवि मार दिया जाएगा खामखां
महत्वपूर्ण यह भी नहीं कि तुम उसे जीवन देती हो

अमरत्व भी
पर मरने के बाद

कविता फिलहाल उसे
तुम जरा-सा झूठ दे दो
ताकि किसी तरह वह बच जाए

जब बचा ही नहीं रहेगा कवि
तो कविता के साथ कौन आना पसंद करेगा!

- जयप्रकाश मानस

[साभार - अबोले के विरुद्ध]

 

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