Warning: session_start(): open(/tmp/sess_2616cd759fa0d643a97fd062c216b17c, O_RDWR) failed: No such file or directory (2) in /home/bharatdarshanco/public_html/child_lit_details.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /tmp) in /home/bharatdarshanco/public_html/child_lit_details.php on line 1
 प्रियतम का दूत | पवहारी बाबा | Pavhari Baba
हिंदी जाननेवाला व्यक्ति देश के किसी कोने में जाकर अपना काम चला लेता है। - देवव्रत शास्त्री।
प्रियतम का दूत  (कथा-कहानी)    Print this  
Author:स्वामी विवेकानंद

एक बार उन्हें गोरखा सांप ने काट लिया था। आपके विश्वती पर प्रभाव से वे थोड़े ही समय में बेसुध हो गए थे। इस अवस्था में बहुत समय व्यतीत हो गया। लोगों ने समझा, महात्मा मर गए हैं। परंतु आश्चर्य की बात है कि कई घंटे के पश्चात उनकी चेतना लौट आई। धीरे-धीरे वह उठ कर बैठ गए और थोड़े ही समय में अपने आपको पूर्णता स्वस्थ अनुभव करने लग गए।  यह देखकर सभी लोग विस्मित हो उठे। के एक व्यक्ति ने उनसे पूछ ही लिया, "बाबा जी! इस समय आप अपने आप को कैसा अनुभव करते हैं?"

बाबा ने मुस्कुराकर उत्तर दिया, "बहुत अच्छा हूं - स्वस्थ हूं। स्वर्ग से मेरे प्रियतम ने मेरे पास आज एक दूत भेजा था।

मृत्युदूत गोरखा सांप को उन्होंने अपने प्रियतम का दूत मान लिया था।

- स्वामी विवेकानंद

Previous Page  |   Next Page
 
Post Comment
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश