भारतीय साहित्य और संस्कृति को हिंदी की देन बड़ी महत्त्वपूर्ण है। - सम्पूर्णानन्द।
माँ (काव्य)    Print this  
Author:दिविक रमेश

रोज़ सुबह, मुँह-अंधेरे
दूध बिलोने से पहले
माँ
चक्की पीसती,
और मैं
घुमेड़े में
आराम से
सोता।

-तारीफ़ों में बंधी
मांँ
जिसे मैंने कभी
सोते
नहीं देखा।

आज
जवान होने पर
एक प्रश्न घुमड़ आया है--
पिसती
चक्की थी
या माँ?

- दिविक रमेश

 

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