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इसलिए तनहा खड़ा हैहै अभी उसमें अना हैबिन बिके जो लिख रहा हैहममें वो सबसे बड़ा है
भीड़ से बिल्कुल अलग हैआज भी वो सोचता है
ख़ून दौड़े है रग़ों मेंजब कभी वो बोलता है
कल उसी पर शोध होंगेआज जो अज्ञात-सा है
-राजगोपाल सिंह
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