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 घोड़ा और घोड़ी | बालकथा | Story for Children by Leo Tolstoy
भारत की सारी प्रांतीय भाषाओं का दर्जा समान है। - रविशंकर शुक्ल।
घोड़ा और घोड़ी (बाल-साहित्य )    Print this  
Author:लियो टोल्स्टोय | Leo Tolstoy

एक घोड़ी दिन-रात खेत में चरती रहती , हल में जुता नहीं करती थी, जबकि घोड़ा दिन के वक्त हल में जुता रहता और रात को चरता। घोड़ी ने उससे कहा, "किसलिये जुता करते हो? तुम्हारी जगह मैं तो कभी ऐसा न करती। मालिक मुझ पर चाबुक बरसाता, मैं उस पर दुलत्ती चलाती।"

अगले दिन घोड़े ने ऐसा ही किया। किसान ने देखा कि घोड़ा अड़ियल हो गया है, इसलिये उसने घोड़ी को ही हल में जोत दिया।

- लियो टॉल्स्टोय
(बच्चो सुनो कहानी)

 

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