Warning: session_start(): open(/tmp/sess_7da6ba2845442b7dee38d9ecb7b1510e, O_RDWR) failed: No such file or directory (2) in /home/bharatdarshanco/public_html/child_lit_details.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /tmp) in /home/bharatdarshanco/public_html/child_lit_details.php on line 1
 दो मिनट का मौन | Do Minute Ka Maun | Poem by Kedarnath Singh
भारत की सारी प्रांतीय भाषाओं का दर्जा समान है। - रविशंकर शुक्ल।
दो मिनट का मौन (काव्य)    Print this  
Author:केदारनाथ सिंह

भाइयो और बहनो
यह दिन डूब रहा है
इस डूबते हुए दिन पर
दो मिनट का मौन

जाते हुए पक्षी पर
रुके हुए जल पर
झिरती हुई रात पर
दो मिनट का मौन

जो है उस पर
जो नहीं है उस पर
जो हो सकता था उस पर
दो मिनट का मौन

गिरे हुए छिलके पर
टूटी हुई घास पर
हर योजना पर
हर विकास पर
दो मिनट का मौन

इस महान शताब्दी पर
महान शताब्दी के
महान इरादों पर
और महान वादों पर
दो मिनट का मौन

भाइयो और बहनो
इस महान विशेषण पर
दो मिनट का मौन

- केदारनाथ सिंह

Previous Page  |  Index Page  |   Next Page
 
Post Comment
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश