जब हम अपना जीवन, जननी हिंदी, मातृभाषा हिंदी के लिये समर्पण कर दे तब हम किसी के प्रेमी कहे जा सकते हैं। - सेठ गोविंददास।

पौधा | लघु-कथा (कथा-कहानी)

Print this

Author: रोहित कुमार 'हैप्पी'

समारोह में साहित्यकार को एक नन्हा सा पौधा देकर आयोजकों ने उनका अभिनंदन किया। पौधा लेते-देते की सुंदर फोटो खींची गई फिर जैसा कि आजकल होता है फोटो मोबाइल के जरिये 'फेसबुक' पर 'अपलोड' हो गई।

साहित्यकार की फेसबुक वॉल पर उनके चहेतों ने बधाई देने का सिलसिला छेड़ दिया, उधर आयोजकों के चहेते भी उन्हें बधाई दे रहे थे। दोनों पक्ष मोबाइलों पर अपने चहेतों के 'लाइक' देख-देख कर आत्म-मुग्ध थे। इसी बीच जल-पान का न्योता आ चुका था। नन्हा पौधा समारोह में मेज़ पर कही पीछे छुट गया था। समारोह में जलपान चल रहा था। लेखकों, कवियों और पत्रकारों का अच्छा खासा जमावाड़ा लगा था। पौधे वाली फोटो कई 'फेसबुक' दीवारों की शोभा बनी हुई थी। शुभ-कामनाएं और बधाइयाँ अभी भी आ-जा रही थी। उधर पौधा अपनी मूल मिट्टी से जुदा हुआ मुरझा चला था।

- रोहित कुमार 'हैप्पी'

Back

 
Post Comment
 
 
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश