Warning: session_start(): open(/tmp/sess_b6db53a3dbf6a658b961073e9bf9db66, O_RDWR) failed: No such file or directory (2) in /home/bharatdarshanco/public_html/article_details.php on line 2

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /tmp) in /home/bharatdarshanco/public_html/article_details.php on line 2
 नव वर्ष - सोहनलाल द्विवेदी की कविता
भारत की सारी प्रांतीय भाषाओं का दर्जा समान है। - रविशंकर शुक्ल।

नव वर्ष  (काव्य)

Print this

Author: सोहनलाल द्विवेदी

स्वागत! जीवन के नवल वर्ष
आओ, नूतन-निर्माण लिये,
इस महा जागरण के युग में
जाग्रत जीवन अभिमान लिये;

दीनों दुखियों का त्राण लिये
मानवता का कल्याण लिये,
स्वागत! नवयुग के नवल वर्ष!
तुम आओ स्वर्ण-विहान लिये।

संसार क्षितिज पर महाक्रान्ति
की ज्वालाओं के गान लिये,
मेरे भारत के लिये नई
प्रेरणा नया उत्थान लिये;

मुर्दा शरीर में नये प्राण
प्राणों में नव अरमान लिये,
स्वागत! स्वागत! मेरे आगत!
तुम आओ स्वर्ण विहान लिये।

युग-युग तक पिसते आये
कृषकों को जीवन-दान लिये,
कंकाल-मात्र रह गये शेष
मज़दूरों का नव त्राण लिये;

श्रमिकों का नव संगठन लिये,
पददलितों का उत्थान लिये;
स्वागत! स्वागत! मेरे आगत!
तुम आओ स्वर्ण विहान लिये।

सत्ताधारी साम्राज्यवाद के
मद का चिर-अवसान लिये,
दुर्बल को अभयदान,
भूखे को रोटी का सामान लिये;

जीवन में नूतन क्रान्ति
क्रान्ति में नये-नये बलिदान लिये,
स्वागत! जीवन के नवल वर्ष
आओ, तुम स्वर्ण विहान लिये!

-सोहनलाल द्विवेदी

[ Nav Varsh - Hindi poem by Sohanlal Dwivedi]

Back

 
Post Comment
 
 
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश