जाने कितने झूले थे फाँसी पर, कितनों ने गोली खाई थी।।
पर झूठ देश से बोला कोरा, कि चरखे से आज़ादी आई थी।।
चरखा हरदम खामोश रहा, और अंत देश को बांट दिया।
लाखों बेघर,लाखों मर गए, जब गाँधी ने बंदरबाँट किया।।
जिन्ना के हिस्से पाक गया, नेहरू को हिन्दुस्तान मिला।
जो जान लूटा गए भारत पर, उन्हें कुछ न सम्मान मिला।।
जो देश के लिए जीये,मरे और फाँसी के फंदे पर झूल गए।
हमें गाँधी-नेहरू तो याद रहे, पर अमर पुरोधा हम भूल गए।।
- भैरो सिंह
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