हिंदी चिरकाल से ऐसी भाषा रही है जिसने मात्र विदेशी होने के कारण किसी शब्द का बहिष्कार नहीं किया। - राजेंद्रप्रसाद।

चन्द्रशेखर आज़ाद की पसंदीदा शायरी (विविध)

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Author: भारत-दर्शन संकलन

पं० चंद्रशेखर आज़ाद को गाना गाने या सुनने का शौक नहीं था लेकिन फिर भी वे कभी-कभी कुछ शेर कहा करते थे। उनके साथियों ने निम्न शेर अज़ाद के मुंह से कई बार सुने थे:

"टूटी हुई बोतल है टूटा हुआ पैमाना।
सरकार तुझे दिखा देंगे ठाठ फकीराना॥"

"शहीदों की चिताओं पर पड़ेंगे ख़ाक के ढेले।
वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा॥"

चंद्रशेखर आज़ाद ने शायद देश के हालातों से क्षुब्ध होकर इस शेर के शब्द बदल दिए होंगे। चंद्रशेखर दलगत राजनीति व घर के भेदियों से क्षुब्ध थे।  शेर में पहली पंक्ति मूल रूप से इस प्रकार है - 'शहीदों की मज़ारों पर लगेंगे हर बरस मेले'।

"दुश्मन की गोलियों का, हम सामना करेंगे।
आज़ाद ही रहे हैं, आज़ाद ही मरेंगे॥


संकलन: रोहित कुमार  

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