हिंदी भारतीय संस्कृति की आत्मा है। - कमलापति त्रिपाठी।

साँप (काव्य)

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Author: अज्ञेय | सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन

साँप!

तुम सभ्य तो हुए नहीं
नगर में बसना
भी तुम्हें नहीं आया।

एक बात पूछूँ- (उत्तर दोगे?)
तब कैसे सीखा डँसना-

विष कहाँ पाया?

- अज्ञेय

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