जब हम अपना जीवन, जननी हिंदी, मातृभाषा हिंदी के लिये समर्पण कर दे तब हम किसी के प्रेमी कहे जा सकते हैं। - सेठ गोविंददास।

तूने मुझे निकलने को जब रास्ता दिया | ग़ज़ल (काव्य)

Print this

Author: सूबे सिंह सुजान

तूने मुझे निकलने को जब रास्ता दिया
मैंने भी तेरे वास्ते सर को झुका दिया

सबका भला करो,इसी में अपना है भला
जीवन में आगे आएगा सबके लिया दिया

हम प्रेम प्रेम प्रेम करें, प्रेम प्रेम प्रेम
कटु सत्य, प्रेम ने हमें मानव बना दिया

हम क्रोध में उलझते रहे दोस्तो परन्तु
परमात्मा ने प्रेम हमें सर्वथा दिया

वो व्यस्त हैं गुलाब दिवस को मनाने में,
देखो गुलाब प्रेम में मुझको भुला दिया

- सूबे सिंह सुजान
subesujan21@gmail.com
मोबाईल न. 09416334841

Back

 
Post Comment
 
 
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश