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 कल कहाँ थे कन्हाई | होली गीत | Holi Geet
हिंदी जाननेवाला व्यक्ति देश के किसी कोने में जाकर अपना काम चला लेता है। - देवव्रत शास्त्री।

कल कहाँ थे कन्हाई  (काव्य)

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Author: भारत दर्शन संकलन

कल कहाँ थे कन्हाई हमें रात नींद न आई
आओ -आओ कन्हाई न बातें बनाओ
कल कहाँ थे कन्हाई हमें रात नींद न आई।

एजी अपनी जली कुछ कह बैठूँगी,
सास सुनेगी रिसाई हमें नींद न आई।

एजी तुमरी तो रैन -रैन से गुजरी,
कुवजा से आँख लगाई हमें रात नींद न आई।

एजी चोया चंदन और आरती,
मोति न मांग भराई हमें रात नींद न आई।

कल थे कहाँ कन्हाई हमें रात नींद न आई,
आओ -आओ कन्हाई न बातें बनाओ,
कल थे कहाँ कन्हाई हमें रात नींद न आई।

 

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