जब हम अपना जीवन, जननी हिंदी, मातृभाषा हिंदी के लिये समर्पण कर दे तब हम किसी के प्रेमी कहे जा सकते हैं। - सेठ गोविंददास।

ग़ज़लें ही ग़ज़लें (काव्य)

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Author: भारत-दर्शन संकलन

ग़ज़लों का संकलन।

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यहाँ कुछ रहा हो | ग़ज़ल
दो ग़ज़लें
ग़ज़ल - अमन का फ़रमान
दो ग़ज़लें
ग़ज़ल
ग़ज़ल
दो ग़ज़लें
दो ग़ज़लें
ग़ज़ल
यारो उम्र गुज़ार दी | ग़ज़ल
अहमद फ़राज़ की दो ग़ज़लें
अभी ज़मीर में... | ग़ज़ल
शहीर जलाली की दो ग़ज़लें
कभी घर में नहीं...
दो ग़ज़लें
हमन है इश्क मस्ताना
मेरे दुख की कोई दवा न करो  | ग़ज़ल
आदमी आदमी को क्‍या देगा | ग़ज़ल
कुँअर बेचैन की ग़ज़लें
काजू भुने पलेट में | ग़ज़ल
हिन्‍दू या मुस्लिम के | ग़ज़ल
आप क्यों दिल को बचाते हैं यों टकराने से | ग़ज़ल
कभी दो क़दम.. | ग़ज़ल
नहीं कुछ भी बताना चाहता है
क्या कहें ज़िंदगी का फ़साना मियाँ | ग़ज़ल
लोग क्या से क्या न जाने हो गए | ग़ज़ल
बिला वजह आँखों के | ग़ज़ल
हटाओ धूल ये रिश्ते संभाल कर रक्खो | ग़ज़ल
बंदगी के सिवा ना हमें कुछ गंवारा हुआ
तुझसे मिलकर हमें महसूस ये होता रहा है | ग़ज़ल
आंखों में उसका चेहरा है | ग़ज़ल
नदियों के गंदे पानी को | ग़ज़ल
यह जो बादल है | ग़ज़ल
वो जब भी | ग़ज़ल
मतदान आने वाले ,सरगर्मियाँ बढ़ीं | ग़ज़ल
उग बबूल आया, चन्दन चला गया | ग़ज़ल
जाने क्यों कोई शिकायत नहीं आती | ग़ज़ल
तूने मुझे निकलने को जब रास्ता दिया | ग़ज़ल
आपसे सच कहूँ मौसम हूँ | ग़ज़ल
झूठों ने झूठों से...
तू शब्दों का दास रे जोगी
टूटा हुआ दिल...
लूट मची है चारों ओर | ग़ज़ल 
ना जाने मेरी जिंदगी यूँ वीरान क्यूँ है | ग़ज़ल
बेच डाला जिस्म...
दो ग़ज़लें
अभी होली दिवाली | ग़ज़ल
क्यों दीन-नाथ मुझपै | ग़ज़ल
जो कुछ है मेरे दिल में
मन में रहे उमंग तो समझो होली है | ग़ज़ल
हर कोई है मस्ती का हकदार सखा होली में
कभी पत्थर कभी कांटे कभी ये रातरानी है
रुख से उनके हमें
अजीब क़िस्म का अहसास
डॉ. राकेश जोशी की चार ग़ज़लें
अंजुम रहबर की दो ग़ज़लें
ग़ज़ल
दो ग़ज़लें
दिन को भी इतना अंधेरा
चेहरा जो किसी शख्स का...
अभिषेक कुमार सिंह की दो ग़ज़लें
जबसे लिबासे-शब्द मिले
ऐ ज़िन्दगी मत पूछ
हर एक चेहरे पर | ग़ज़ल
न जाने इस जुबां पे | ग़ज़ल
इस दौर में...
सब फैसले होते नहीं...
क्या ख़ास क्या है आम
जहाँ जाते हैं हम...
ढूँढा है हर जगह पे...
मत पूछिये क्यों...
आँखों में रहा..
अगर हम कहें...
ये किसने भीड़ में
अपने होने का पता
मन रामायण जीवन गीता
तू है बादल
जल को तरसे हैं ...
जहाँ पेड़ पर...
एक दरी, कंबल, मफलर
रिश्ते, पड़ोस, दोस्त
दो ग़ज़लें
घर जला भाई का
रंज इस का नहीं कि हम टूटे | ग़ज़ल
न हारा है इश्क़--
उदासियों का मौसम---
है मुश्किलों का दौर
जाम होठों से फिसलते
हर लम्हा ज़िंदगी के--
ग़ज़ल
आया कुछ पल
माना, गले से सबको
मिलती हैं आजकल
कुमार नयन की दो ग़ज़लें
ग़रीबों, बेसहारों को
काम बनता हुआ भी बिगड़े सब | ग़ज़ल
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गठरी में ज़रूरत का ही सामान रखियेगा | ग़ज़ल
बात सच्ची कहो | ग़ज़ल
जिनसे हम छूट गये
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कहाँ तक बचाऊँ ये-- | ग़ज़ल
शायर बहुत हुए हैं--|
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शेर होकर भी---
ज़हन में गर्द जमी है---
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हिसाबे-इश्क़ है साहिब | ग़ज़ल
जिंदगी इक सफ़र है | ग़ज़ल
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बयानों से वो बरगलाने लगे हैं
ज़िन्दगी को औरों की
यूँ कहने को बहकता जा रहा हूँ
लोग उस बस्ती के यारो | ग़ज़ल
संध्या नायर की दो ग़ज़लें
ज़ख्म को भरने का दस्तूर होना चाहिए
छन-छन के हुस्न उनका | ग़ज़ल
टूट कर बिखरे हुए...
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रूख़ सफ़र का... | ग़ज़ल
मेरी आरज़ू रही आरज़ू | ग़ज़ल
विनीता तिवारी की दो ग़ज़लें
शक के मुंह में | ग़ज़ल
आने वाले वक़्त के
मैं अकेला और भी...
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रात दिन यूं चला
 
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