जब हम अपना जीवन, जननी हिंदी, मातृभाषा हिंदी के लिये समर्पण कर दे तब हम किसी के प्रेमी कहे जा सकते हैं। - सेठ गोविंददास।

कविता का अर्थ (काव्य)

Print this

Author: मदन डागा

मेरी भाषा का व्याकरण
पाणिनि नही
पददलित ही जानते हैं
क्योंकि वे ही मेरे दर्द को--
पहचानते हैं :
मेरी कविता का कमल
बगीचे के जलाशयों में नही;
झुग्गी-झोंपड़ियों के कीचड़ में खिलेगा
मेरी कविता का अर्थ
उत्तर-पुस्तिकाओं में नहीं
फुटपाथों पर मिलेगा !

-मदन डागा

Back

 
Post Comment
 
 
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश