जब हम अपना जीवन, जननी हिंदी, मातृभाषा हिंदी के लिये समर्पण कर दे तब हम किसी के प्रेमी कहे जा सकते हैं। - सेठ गोविंददास।

लिखना ज़रूरी है... (काव्य)

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Author: डॉ॰ साकेत सहाय

मैं बहुत कम कविताएँ लिखता हूँ, आज एक उपहार लिफाफ़े पर इस सुंदर हस्तलेखनी को देखा तो मन में कुछ भाव आए।

लिखना ज़रूरी है
खूब लिखिए
कागज और कलम की
बुनियाद
मज़बूत कीजिए।
क्योंकि
लिखना ज़रूरी है…

भाव के लिए
विचार के लिए
संवाद के लिए
जुड़ाव के लिए

प्रसार के लिए
प्रस्तुति के लिए
प्रभाव के लिए
प्रमोद के लिए
प्रमाण के लिए

लिखना भाषाओं को
आत्मीयता देता हैं
लिपियों को
जीवंतता

व्याकरण को भाव
और भाषा को परिधान
परिष्कार
और संस्कार
और अनुशासन भी

खूब लिखिए
जो लिखेगा
वो जागेगा
जो जागेगा
वो जगाएगा

जो जगाएगा
वो सुंदर, मधुर
और सुखद होगा

सुंदर, मधुर और सुखद
भाव के संयोग से
समृद्ध विचार
जाग्रत होते हैं

लिखना
सुखद एहसास
देते हैं

क्योंकि
जब तक लेखनी है
तब तक हम और आप
आदमी हैं।

-डॉ॰ साकेत सहाय

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