रोशनी बेचने का हक़ ,
सबको नहीं मिला करता;
सूरज का मैं ,
नूर-ए-चश्म हो गया हूँ।
- सुफला सेठी
ईमेल: suflasethi@gmail.com
नूर-ए-चश्म = आँख की रोशनी, लड़का, सुपुत्र, प्यारा बेटा, फ़र्ज़ंद, प्यारी बेटी
हक़ | क्षणिका (काव्य) |
रोशनी बेचने का हक़ ,
सबको नहीं मिला करता;
सूरज का मैं ,
नूर-ए-चश्म हो गया हूँ।
- सुफला सेठी
ईमेल: suflasethi@gmail.com
नूर-ए-चश्म = आँख की रोशनी, लड़का, सुपुत्र, प्यारा बेटा, फ़र्ज़ंद, प्यारी बेटी