Warning: session_start(): open(/tmp/sess_9739d854483cbcd94f53a35a6af603eb, O_RDWR) failed: No such file or directory (2) in /home/bharatdarshanco/public_html/article_details.php on line 2

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /tmp) in /home/bharatdarshanco/public_html/article_details.php on line 2
 अबू बिन आदम और देवदूत | bou Ben Adhem by James Henry Leigh Hunt | Hindi Translation
हिंदी जाननेवाला व्यक्ति देश के किसी कोने में जाकर अपना काम चला लेता है। - देवव्रत शास्त्री।

अबू बिन आदम और देवदूत  (काव्य)

Print this

Author: जेम्स हेनरी ली हंट

Abou Ben Adhem

एक रात अबू बिन आदम, घोर स्वप्न में जाग पड़े।
देखा जब कमरे को अपने, हुए महाशय चकित बड़े॥
शुभ्र चन्द्रिका की आभा से, सारा कमय व्याप्त हुआ।
चमक दमक कमरे की मानों, खिला कमल है प्राप्त हुआ॥
एक ओर को एक फरिश्ता, लिखता था कुछ अपने आप।
स्वर्ण सरीखे रंग की पुस्तक, लेकर बैठा था चुपचाप ॥
अधिक शान्ति ने बिन आदम को, पूर्ण साहसी बना दिया।
"लिखता है तू यह क्या भाई" बिन आदम ने प्रश्न किया--
दिया दूत ने उत्तर झट से, "लिखता हूँ मैं उनके नाम--
रखते हैं जो प्रेम ईश से, है यह प्रतिदिन मेरा काम"॥
अब्बू ने तब फिर से पूछा, क्या मेरा भी नाम लिखा?
उत्तर में-'ना' सुनकर उनको, मात्र एक अवलम्ब दिखा।
विनय सहित अति प्रेम-भाव से, बिन आदम फिर से बोल--
करते हों जो प्यार नरों से", उसी जगह मुझको लिखले॥
लिख कर उनका नाम दूत फिर, झटपट अन्तर्धान हुआ।
विमल ज्योति से अगली निशि में, दूत पुनः अवतीर्ण हुआ॥
लगा दिखाने नाम अबू को, जिन पर प्रभु का प्यार हुआ।
सर्व प्रथम था नाम अबू का, पढ़ कर अति आनन्द हुआ।

-जेम्स हेनरी ली हंट
[Abou Ben Adhem by James Henry Leigh Hunt]

छंदानुवाद : गणेशप्रसाद सिंघई

Back

 
Post Comment
 
 
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश