जब हम अपना जीवन, जननी हिंदी, मातृभाषा हिंदी के लिये समर्पण कर दे तब हम किसी के प्रेमी कहे जा सकते हैं। - सेठ गोविंददास।

माओइ और विशाल मछली  (कथा-कहानी)

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Author: रोहित कुमार ‘हैप्पी'

[ न्यूज़ीलैंड की लोक कथा ]

माओरी लोक कथाओं में माओइ को अर्ध-देवता के रूप में जाना जाता है। उसे कई चमत्कारिक शक्तियाँ प्राप्त थीं।

माओइ जब छोटा था तो उसका एकमात्र सपना था कि वह भी अपने बड़े भाइयों के साथ मछली पकड़ने जाए। जब भी उसके भाई मछली पकड़ने के बाद घर लौटते तो उसका एक ही प्रश्न होता, "क्या मैं अगली बार आपके साथ मछली पकड़ने आ सकता हूँ?"

माओइ के भाई हमेशा बहाना करते, "नहीं, तुम हमारे साथ मछली पकड़ने के लिए जाने के लिए अभी बहुत छोटे हो। हमें अपनी नौका में मछलियाँ रखने के लिए बहुत सी जगह की जरूरत रहती है।"

माओइ प्रतिवाद करता, "मैं केवल थोड़ी-सी जगह ही लूंगा, और मैं आपको बिलकुल परेशान नहीं करूंगा, मैं वादा करता हूं।"

सबसे बड़ा भाई जवाब देता, "तुम इतने पतले हो कि हम तुम्हें मछलियों का चारा समझ कर गलती से शायद बाहर फेंक दें और तब मछलियां तुम्हें खा जाएंगी।"

माओइ गुस्सा हो जाता। "मैं उन्हें सिखाऊंगा", वह खुद से कहता,"मैं साबित करूंगा कि मैं कितना कुशल हूँ!"

माओइ ने अपने मन में स्वयं को एक महान मछुआरा साबित करने की एक योजना बनाई। एक रात जब माओइ अकेला था तो उसने सन (Flax) से एक मजबूत मछली पकड़ने की डोरी (लाइन) बुननी शुरू कर दी। वह डोरी बुनते-बुनते अपने कबीले का पारंपरिक मंत्र पढ़ता जा रहा था। उसके कबीले में यह धारणा थी कि यदि डोरी बुनते समय इस मंत्र का उच्चारण किया जाए तो 'लाइन' खूब मजबूत हो जाती है।

जब उसकी बुनती समाप्त हुई तो माओइ ने अपनी नानी के जबड़े की जादुई अस्थि को इसमें चुपके से सुरक्षित बांध लिया।

अगली सुबह जल्दी उठकर माओइ अपनी मछली पकड़ने की डोरी साथ ले, नौका में जा छुपा।

जब भाइयों ने नौका को समुद्र में खींचकर छोड़ना शुरू किया तो उन्हें कुछ आश्चर्य हुआ क्योंकि नौका इस बार कुछ भारी थी।

"आज नौका कुछ भारी जान पड़ती है।" एक भाई बोला, "क्या तुम सब जोर से धक्का लगा भी रहे हो?"

"आज सुबह कनू बहुत भारी है, क्या आप वाकई मदद कर रहे हैं?" एक ने कहा।

"मुझे लगता है कि आप बहुत ज्यादा खाना खा रहे हैं!" दूसरे ने हँसकर कहा।
"अपनी बातें रहने दो और ज़ोर लगाओ!" सबसे बड़े भाई ने कहा।

भाइयों में से किसी को भी माओइ के छुपे होने की भनक तक न थी। जब माओइ ने महसूस किया कि उसके भाइयों ने लंगर छोड़ दिया है, वह जानता था कि वे अब अपने घर से बहुत दूर निकल चुके हैं और अब लौटना संभव नहीं है। तब माओइ ने अपने भाइयों के सामने प्रकट होकर उन्हें आश्चर्यचकित कर दिया।

"अरे! तुम यहां क्या कर रहे हो?" एक ने कहा।

"तो....तुमने हमें धोखा दिया!" दूसरा बोला।

"अब समझ आया कि हमने अभी तक एक भी मछली क्यों नहीं पकड़ी है!"
माओइ के भाई उससे बहुत नाराज हुए।

माओइ ने अपनी बात उनके सामने रखी, "मैं मछली पकड़ने आया हूं क्योंकि नानी ने कहा था कि मैं बहुत बड़ा मछुआरा बनूंगा। अपनी 'लाइनों' को नीचे जाने दो क्योंकि मैं अपने 'मंत्र' का पाठ करूंगा तो तुम इतनी मछलियां पकड़ोगे, जितनी पहले कभी न पकड़ी होंगी।" माओइ ने अपना मंत्र शुरू किया। भाइयों ने पानी में अपनी लाइनें फेंक दी और तुरन्त मछली पकड़ना शुरू कर दिया। एक के बाद एक मछली फंसती गई और पूरी नौका भर गई।

मछलियों से भरी नौका देखकर सभी भाई बहुत प्रसन्न थे। वे अपने आप को सर्वोत्तम मछुआरे बता रहे थे व अपनी तारीफ स्वयं करते जा रहे थे।

"अब मेरी बारी है, मैं मछलियां पकड़ता हूँ।" माओइ ख़ुशी से झूम उठा।
माओइ को अपने थैले में से अपना कांटा निकालता देख सभी बड़े भाई उसका मज़ाक उड़ाने लगे, "तेरे इस कांटे से मछली तो क्या कोई समुद्री घास भी फंस जाए तो गनीमत समझना!"

माओइ ने उन्हें अनसुना करते हुए मछली पकड़ने के 'चौगे के लिए पूछा तो भाइयों ने साफ मना कर दिया और उसपर हँसते रहे।

माओइ को जाने क्या सूझा! उसकी मुट्ठियां जोर से भींच गई थीं। उसने बहुत ज़ोर से अपने नाक पर एक मुक्का मारा। अगले ही क्षण उसकी नाक से खून बह रहा था। उसने अपने खून से अपने मछली पकड़ने वाले कांटे को लेप लिया। उसका मछली पकड़ने का चुग्गा तैयार था। फिर उसने नौका पर खड़े होकर अपना जादुई मन्त्र पढ़ते हुए, अपना कांटा समुद्र में फैंका।

उसकी 'लाइन' व कांटा समुद्र में बहुत गहरे डूबते चले जा रहे थे और फिर कहीं बहुत गहराई में उसका कांटा जा फंसा था।

पूरी नौका ज़ोर-ज़ोर से हिलने लगी थी। माओइ के भाई हँसना भूलकर अपने को संभालने में लग गए थे। "डोरी काट दो!"

"हम सब डूब जाएंगे। जल्दी से डोरी काट दो, माओइ!" दूसरे ने कहा।
माओइ ने उनकी एक न सुनी और पूरे जोर से अपनी डोरी खींचने लगा। उसके कांटे में एक बहुत बड़ी मछली फंसी हुई खींची चली आ रही थी।

इतनी बड़ी मछली को अपनी नौका की ओर खींची चली आती देख सभी भाई मारे डर के ज़ोरों से कँपकपा रहे थे।

"यह वही बड़ी मछली है जो बहुत पहले नानी ने कहा था कि हमें मिलेगी। तुम इसका ख्याल रखो, मैं अपने और लोगों को बुला कर लाता हूँ।"

सभी भाई सहमति से वहीं ठहर गए और माओइ घर की ओर चला गया।
माओइ के जाते ही उसके लोभी भाई मछली को काटने लगे।

जब माओइ अपने कबीले के और लोगों के साथ लौटा तो सभी लोग इतनी बड़ी मछली देखकर दंग रह गए।

"माओइ, तुम सबसे श्रेष्ठ मछुआरे हो!" कबीले के लोगों ने उसे शाबासी दी।
माओइ के भाई अब भी विशाल मछली के टुकड़े काटने में लगे थे। 'कौनसा हिस्सा किसका होगा' पर भी विवाद हो रहा था। माओइ के भाइयों की लालची प्रवृति जग-जाहिर हो गई थी लेकिन सभी माओइ की तारीफ कर रहे थे।

माओइ के भाई विशाल मछली के इतने टुकड़े काट चुके थे कि ऐसे लगता था जैसे वहां बड़े-बड़े परबत और खाइयां बन गई हों।

कहते हैं, यही बाद में न्यूजीलैंड के परिदृश्य का हिस्सा बन गए और पहाड़ों व खाइयों के रूप ने आज विद्यमान हैं।

कालांतर में विशाल मछली नार्थ आइलैंड (उत्तरी भू-भाग) बन गई व माओइ की नौका साउथ आइलैंड (दक्षिण भू-भाग) है।

भावानुवाद : रोहित कुमार 'हैप्पी'
न्यूज़ीलैंड

 

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