हिंदी भारतीय संस्कृति की आत्मा है। - कमलापति त्रिपाठी।

तुम हो महान  (काव्य)

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Author: तारा पांडेय

तुम हो महान!
तुम परम पूज्य, तुम गुण - निधान !
सब कार्य तुम्हारे मनभावन, पद-चिह्न बने हैं अति पावन,
मैं मन्त्र मुग्ध-सी देख रही, कैसे गाऊँ अब मधुर गान?
तुम हो महान!

जीवन में जागृति को भरने, सारे जग को ज्योतित करने,
'सत्याग्रह' का यह महामन्त्र है आज तुम्हारा अमर दान!
तुम हो महान!

ओ भारत माता के नन्दन ! युग-युग तक होवे अभिनन्दन !
ऑखों के खारे पानी से मै देती तुमको अर्घ्य दान ।
तुम हो महान!

-तारा पांडेय

 

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