यह नहीं बताया
माँ कहती थी
बहादुर
सिर्फ एक बार मरता है।
लेकिन उसने यह नहीं बताया
कि घायल कितनी बार होता है?
माँ कहती थी
कभी भी
पीठ पर वार ना लेना
हर बार
सीने पर झेलना
लेकिन उसने यह नहीं बताया
कि आखिर
कितना झेलना?
--प्रीता व्यास
(2)
नींद
सबके पास
अपनी-अपनी चिंताएँ थी
और चिंताएँ
बिस्तर पर
करवटें बदल रहीं थीं।
नींद
परेशान हाल
सारे शहर
दर-ब-दर घूमी
और फिर
थक हार कर
फुटपाथ पर लंबे हुओं की
आँखों में उतर गई।
--प्रीता व्यास
[ लफ़्फ़ाज़ी नहीं है कविता, अयन प्रकाशन, महरौली नई दिल्ली]