जब हम अपना जीवन, जननी हिंदी, मातृभाषा हिंदी के लिये समर्पण कर दे तब हम किसी के प्रेमी कहे जा सकते हैं। - सेठ गोविंददास।

अनूदित काव्य (काव्य)

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Author: भारत-दर्शन संकलन

अनूदित काव्य

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