जूते ठाट के -
जैसे बड़े लाट के,
आज के राजे।
झूठ, सफ़ेद -
हो या कि कजरारे ,
वारे ही न्यारे!
ऊंचे मकान,
लगते बियवान!
लोग नहीं हैं !!
बर्दी बेदर्दी,
कहर बरपाए,
हद कर दी।
- तपेश
ई-मेल: tapeshbhowmick@gmail.com
चार हाइकु (काव्य) |
जूते ठाट के -
जैसे बड़े लाट के,
आज के राजे।
झूठ, सफ़ेद -
हो या कि कजरारे ,
वारे ही न्यारे!
ऊंचे मकान,
लगते बियवान!
लोग नहीं हैं !!
बर्दी बेदर्दी,
कहर बरपाए,
हद कर दी।
- तपेश
ई-मेल: tapeshbhowmick@gmail.com