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 पानी का रंग | Hindi poem by Sukhbir Singh
हिंदी जाननेवाला व्यक्ति देश के किसी कोने में जाकर अपना काम चला लेता है। - देवव्रत शास्त्री।

पानी का रंग (काव्य)

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Author: सुखबीर सिंह

पानी के रंग जैसी हैं ये जिंदगी,
इसे जैसे बनाओगे वैसे ही बन जाएगी।

अगर इरादे मजबूत हों तो
आसमान भी छुना मुश्किल नहीं।
अगर हम ही कमजोर हों तो
ये जिंदगी भी हार मान जाएगी।

पानी के रंग जैसी हैं ये जिंदगी
इसे जैसे बनाओगे वैसे ही बन जाएगी।

किस्मत पे यकीन करना तू छोड़ दे
बस अपने कर्म करने पर जोर दे।
हर एक पल बड़ा कीमती हैं, दोस्त
बीती घड़ी दोबारा हाथ नहीं आएगी।

पानी के रंग जैसी हैं ये जिंदगी
इसे जैसे बनाओगे वैसे ही बन जाएगी।

हाथ की लकीरों को
देखने से कुछ नहीं होगा।
दुनिया में वे लोग भी होते हैं
जिनके हाथ नहीं होते।

चलते रहो अपने मुकाम की ओर
सफलता एक दिन जरूर हाथ आएगी।

पानी के रंग जैसी हैं ये जिंदगी
इसे जैसे बनाओगे वैसे ही बन जाएगी।

- सुखबीर सिंह
ई-मेल: sukhbir052@gmail.com

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