जब हम अपना जीवन, जननी हिंदी, मातृभाषा हिंदी के लिये समर्पण कर दे तब हम किसी के प्रेमी कहे जा सकते हैं। - सेठ गोविंददास।

इस दुनिया के रंग निराले (काव्य)

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Author: रोहित कुमार हैप्पी

इस दुनिया के रंग निराले
मुँह के मीठे दिल के काले।

यूं तो हरदम हाथ मिलावें
पीठ पे मारें छुरी-भाले।

पत्थर हीरा, हीरा पत्थर
तेरी आँखों में हैं जाले।

जब भी हाथ मिलाए जालिम
हाथों में पड़ ज़ाए छाले।

करना पडता है कुरूक्षेत्र
युद्ध नहीं जब टलता टाले।

- रोहित कुमार 'हैप्पी'

 

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