जिस देश को अपनी भाषा और अपने साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता। - देशरत्न डॉ. राजेन्द्रप्रसाद।

प्रजापति कश्यप की दो पत्नियों की कथा  (कथा-कहानी)

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Author: भारत-दर्शन संकलन

एक बार प्रजापति कश्यप की दो पत्नियों विनता और कद्रू के बीच इस बात पर विवाद हो गया कि सूर्य के अश्व काले हैं या सफेद।

विवाद बढ़ने पर दोनों के बीच तय हुआ कि जो पराजित होगी वह दासी बनेगी। रानी कद्रू ने अपने पुत्र नागराज वासुकि की सहायता से अश्वों के श्वेत रंग को काला कर दिया, जिससे विनता की हार हुई। अंततः विनता ने कद्रू से प्रार्थना की कि वह उसे दासीत्व से मुक्त कर दें। कडू ने पुनः शर्त रखी कि यदि वे नागलोक में रखे अमृत घट को उसे लाकर दे दे तो दासीत्व से मुक्त हो सकती है। विनता ने अपने पुत्र गरूड़ को इस कार्य में लगा दिया। गरूड़ जब अमृत घट लेकर आ रहे थे तो रास्ते में इंद्र ने उन पर आक्रमण कर दिया। संघर्ष के कारण घट से अमृत की कुछ बूंदें छलककर चार अलग-अलग स्थान पर गिरीं और उन्हीं स्थानों पर कुम्भ पर्व होने लगा।

[भारत-दर्शन संकलन]

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