जब हम अपना जीवन, जननी हिंदी, मातृभाषा हिंदी के लिये समर्पण कर दे तब हम किसी के प्रेमी कहे जा सकते हैं। - सेठ गोविंददास।

ऐसा नहीं कि... (काव्य)

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Author: रोहित कुमार हैप्पी

ऐसा नहीं कि कोई सवालात नहीं हैं
मुंह खोलने के बस बचे हालत नहीं हैं

रंजिश कोई उससे मेरी तकरार नहीं है
बस उसके-मेरे एक ख़यालात नहीं हैं

कहने को वे कहते हैं कोई बात नहीं है
दोनों के बीच पहले-से जज़्बात नहीं हैं

जब रास्ते बदले तो बहुत कुछ बदल गया
दिल में दीवारें उठती यूं बेबात नहीं हैं

- रोहित कुमार 'हैप्पी'

 

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