भारतीय साहित्य और संस्कृति को हिंदी की देन बड़ी महत्त्वपूर्ण है। - सम्पूर्णानन्द।

इस दौर में... (काव्य)

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Author: उदय प्रताप सिंह

इस दौर में कोई न जुबां खोल रहा है
तुझको ही क्या पड़ी है कि सच बोल रहा है

बेशक हजार बार लुटा पर बिका नहीं
कोहिनूर जहां भी रहा अनमोल रहा है

साधु की चटाई को कोई खौफ, न खतरा
हर पांव सिंहासन का मगर डोल रहा है

शोहरत के मदरसे का गणित हमसे पूछिए
जितनी है पोल उतना ही बज ढोल रहा है

- उदय प्रताप सिंह

 

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