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 इस दौर में कोई न जुबां खोल रहा है | Ghazal by Uday Pratap Singh
हिंदी जाननेवाला व्यक्ति देश के किसी कोने में जाकर अपना काम चला लेता है। - देवव्रत शास्त्री।

इस दौर में... (काव्य)

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Author: उदय प्रताप सिंह

इस दौर में कोई न जुबां खोल रहा है
तुझको ही क्या पड़ी है कि सच बोल रहा है

बेशक हजार बार लुटा पर बिका नहीं
कोहिनूर जहां भी रहा अनमोल रहा है

साधु की चटाई को कोई खौफ, न खतरा
हर पांव सिंहासन का मगर डोल रहा है

शोहरत के मदरसे का गणित हमसे पूछिए
जितनी है पोल उतना ही बज ढोल रहा है

- उदय प्रताप सिंह

 

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