जब हम अपना जीवन, जननी हिंदी, मातृभाषा हिंदी के लिये समर्पण कर दे तब हम किसी के प्रेमी कहे जा सकते हैं। - सेठ गोविंददास।

करवा और यमराज | करवा व्रत (कथा-कहानी)

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Author: भारत-दर्शन संकलन

तुंगभद्रा नदी के किनारे करवा नाम की एक धोबिन रहा करती थी। उसका पति बूढ़ा और निर्बल था। करवा का पति एक दिन नदी के किनारे कपड़े धो रहा था कि अचानक एक मगरमच्छ उसका पाँव अपने दांतों में दबाकर उसे यमलोक की ओर ले जाने लगा। वृद्ध पति से कुछ बना नहीं, वह अपनी पत्नी को पुकारने लगा करवा... करवा..., जब पति को देखने करवा बाहर आई, तब मगरमच्छ करवा के पति को यमलोक पहुँचाने ही वाला था कि ऐन वक्त पर करवा, यमराज के दरबार में पहुँची और यमराज से अपने पति की रक्षा करने का आग्रह करने लगी।

यमराज ने करवा की व्यथा सुनी और कहा- 'हे देवी! तुम्हारी पतिभक्ति एवं देवभक्ति से प्रसन्न हुआ जाओ, जल्दी जाओ, तुम्हारा पति तुम्हारा इंतजार कर रहा है। आज से जो भी तुम्हारी तरह कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी का व्रत रखेगी उसके पति की मैं रक्षा करूँगा।'

करवा अपने घर पहुँची, उसने अपने पति को उसका इंतजार करते पाया।।

[भारत-दर्शन]

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